hindisamay head


अ+ अ-

कविता

वृद्धाएँ

सुमित पी.वी.


मेरी दादी हमेशा कुछ न कुछ
बोलती ही रहती हैं

दादी क्या, उनके उम्र वाले सभी!
कभी गुस्से में और कभी प्यार से

लेकिन अंदाज तो लगभग
एक ही जैसा रहता है

कभी शांत नहीं रहती हैं
घर में भी कुछ न कुछ
करती फिरती हैं
बच्चों को और बड़ों को भी
गाली देती ही रहती हैं
हर बात पर!

कभी उनसे पूछने की हिम्मत नहीं हुई
आप ऐसी क्यों हैं?
मैंने खुद एक जवाब तलाश लिया
कि
वृद्धाएँ अपने अकेले होने का
दर्द मिटा रही होंगी इन अटर-पटर
और गाली देने के दरम्यान!!!


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



अनुवाद